Salasar dham in hindi & Salasar mandir bala ji, Salasar mandir kha hai , bala ji salasar mandir ,
सालासर बालाजी धाम भक्तों के लिए एक बहुत बड़ा धार्मिक स्थान है जहां पर हर रोज लाखो की संख्या में लोग सालासर धाम में श्री बालाजी के दर्शन करने आते हैं और यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूंछ हैं यहां पर आपको हर समय बालाजी के भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी आइए आपको बताते हैं कि सालासर धाम के बारे में विस्तार से
सालासर धाम की कहानी & History salasar Dham mandir
सालासर धाम की कहानी में बताया जाता है कि नागौर जिले में छोटा गांव में एक किसान खेत जोत रहा था अचानक ही उसका हल एक पत्थर की चीज से टकराया और आवाज आई तभी उसी किसान ने वहां उस को खोदकर देखा तो उसे वहा पर 2 मूर्तियां मिली उसे और जब उसकी पत्नी वहां पर खाना लेकर आई तो किसान ने उसे ये मूर्तियां दिखाई और उस महिला ने जब उसको अपनी साड़ी से साफ किया तब देखा कि यह मूर्ति तो श्री हनुमान जी की है और उन्होंने शीश झुका कर उनको नमन किया और उनकी हनुमान जी की पूजा की और यह बात धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गई फिर रात्रि को जब उनके सपने में हनुमान जी आए और बोले कि इस मूर्ति को सालासर धाम भेज दिया जाए और वहां सालासर में भी मोहन दास जी महाराज ने भी हनुमान जी को सपने में देखा और उसके बाद मूर्ति के बारे में बताया उन्होंने तुरंत उस गांव के ठाकुर को संदेश पहुंचाया और बताया और उस मूर्ति को सालासर लाया गया तब से यह सालासर धाम के रूप में जाना जाता है और दूसरी जो मूर्ति है वह 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम जसवंतगढ़ में स्थापित कर दी गई और सुबह के समय वहां पर आयोजन किया जाता है और शाम को सालासर में बहुत धूमधाम से समारोह का आयोजन किया जाता है और बालाजी महाराज की आरती और उनके गुणगान किए जाते हैं।
सालासर मंदिर कहा पर है & salasar dham kha per hai & where is salasar bala ji mandir
सालासर धाम राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है और यहां पर हर साल चैत्र पूर्णिमा को बहुत बड़ा मेला का आयोजन किया जाता है। यह सालासर धाम राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाना जाता है और यहां पर श्रद्धालु हर दिन बढ़ चढ़कर ही बालाजी धाम के दर्शन करने आते है।
सालासर हनुमान मंदिर धाम में मेला कब लगता हैं।
सालासर धाम में मेला श्री हनुमान जयंती के उत्सव पर हर साल चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन भारत के हर जगह से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और बालाजी धाम सालासर के दर्शन करते हैं और वहां पर भगत अपनी श्रद्धा अनुसार निशुल्क पेय पदार्थ मिठाइयां और बड़े-बड़े भंडारों का आयोजन करते हैं जिससे आने वाले श्रद्धालु वहां पर खाना खाकर खाना खाते हैं और वहां पर बहुत ही बड़ा मेला का भी आयोजन किया जाता है जहां पर बच्चे, बूढ़े , औरते सब अपने अपने तरीके से शॉपिंग करते हैं और बड़े मेले का लुफ्त उठाते हैं।
सालासर मंदिर के दर्शन का समय salasar dham darshan time & visit time salasar dham mandir
सालासर मंदिर उनके भगतो के लिए सुबह 4 बजे खोल दिया जाता है और रात के 10 बजे तक खुला रहता हैं और मंगलवार को बाला जी का सबसे अच्छा दिन माना जाता है
सालासर धाम आप विभिन्न रास्तों से पहुंच सकते हैं
How to Reach Salasar Dham by Bus
Bus se Salasar Dham tak pahuchne ke liye आपको जयपुर से, बीकानेर से ,दिल्ली से और राजस्थान के हर जगह से आपको सालासर धाम के लिए साधन की सुविधा है और आप आराम से पहुंच सकते हैं
How to Reach Salasar Dham by Airplane ✈️
Airplane se Salasar Dham tak Phuchne ke liye
आप को Jaipur airport तक आना पड़ेगा और जयपुर से आप सालासर धाम पहुंच सकते हैं वहा से बस के माध्यम से या अपने पर्सनल गाड़ी से आप 3 घंटे के अंदर सालासर धाम पहुंच सकते हैं।
How to Reach Salasar Dham by Train 🚂
Salasar Dham aap train se आना चाहते हैं तो आप सुजानगढ़,रतनगढ़ ,सीकर यह सब सालासर धाम के बहुत ही नजदीक में रेलवे स्टेशन है यहां से आप ऑटो टैक्सी या पर्सनल गाड़ी से भी सालासर धाम तक पहुंच सकते हैं
Salasar Dham में रुकने की जगह
सालासर धाम में के मंदिर के आसपास आपको कई सारी धर्मशाला और होटल और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे जहां पर आप आराम से रहने का बंदोबस्त कर सकते हैं और आपको वहां पर अपने कई लोकल जगह की धर्मशाला भी मिल जाएगी वहां पर आप उचित रेट में धर्मशाला लेकर रह सकते हैं
सालासर धाम का सारा रखरखाव
सालासर धाम का सारा रखरखाव मोहन दास जी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है और मंदिर में सभी प्रकार की सुविधाएं है।
सालासर धाम के अलावा भी आप इन मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं
- अंजनी माता मंदिर सालासर धाम से 2 किलोमीटर दूर पर स्थित है
- मोहन दास जी की धुनीया इस जगह हनुमान जी के भगत मोहनदास जी ने अग्नि जलाई थी जो अभी भी वहां पर जल रही है हिंदू धर्म के तीर्थ यात्री वहां आते हैं और वहां से पवित्र राख को लेकर जाते हैं।
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