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एक ऐसा भारतीय डॉक्टर जिसके आगे आज भी सर झुकाते हैं चाइना के बड़े-बड़े नेता देखिए कौन थे

  WHO WAS  DR. KOTNIS & STORY 

एक ऐसा भारतीय डॉक्टर  जिसके आगे आज भी सर झुकाते हैं चाइना के बड़े-बड़े नेता देखिए कौन थे वहभारत-चीन संबंधों को स्वर्णिम योगदान देने वाले 'फ़रिश्ते' डॉ. द्वारकानाथ कोटनीस

                           Dr. KOTNIS Statue(Solapur,Maharashtra ) 

एक ऐसा नाम जो भारतीय था परंतु चाइना के लोग आज  भी उनको भगवान की तरह मानते हैं और उनके सामने आज भी सर झुका कर उनको नमन करते हैं  ऐसी महान शख्सियत भारत के महाराष्ट्र के सोलापुर के रहने वाले द्वारकानाथ कोटनीस जी थे जिनका जन्म एक मध्यम वर्ग ब्राह्मण परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी पढ़ाई सेठ  G.S मेडिकल कॉलेज से पूरी की थी।

 आज डॉक्टर कोटिनिस  जी की 112 वी जयंती पर चीन ने उन्हें याद किया और हर साल उनके जन्मदिवस पर  Dr. Kotnis  को याद किया जाता है और उनको श्रद्धांजलि  दी जाती है और उनके दिए हुए बलिदान का गुणगान भी किया जाता है और आपको बता दें कि डॉक्टर कोटनीस जी की प्रतिमा चाइना में भी लगी हुई है। 
                    Dr. KOTNIS Statue House(SolaprMaharashtra ) 

आखिरकार डॉक्टर कोटनीस जी के  सामने चीनी  नतमस्तक  क्यो होते हैं देखिए 

सन 1938 में चीन पर जापानी आक्रमण के बाद कम्युनिस्ट जनरल झू डी ने  जवाहरलाल नेहरू को कुछ डॉक्टरों की टीम भेजने के लिए विनंती  की थी और  भारतीय लोगों से यह अपील की कि जो डॉक्टर की टीम भाग लेना चाहती है वह जा सकती है और उन्होंने सबसे सलाह करके एक अपनी डॉक्टर की टीम को जिसमे डॉ कोटणीस, डॉ एम अटल, एम चोलकर, बीके बसु और देबेश मुखर्जी चाइना भेजा गया था । डॉ. कोटनिस को छोड़कर सभी सुरक्षित भारत लौट आए।
जब वहां के हालात ठीक होने लग गए तब सारी  भारतीय टीम वापस भारत आने लगे परंतु डॉक्टर कोटनीस भारत नहीं आए वह चाइना में ही रहने लग गए और वहां की एक लड़की जो कोटणीस के साथ उसी मेडिकल कॅम्प में काम करती थी जिसका नाम गुओ किंगलान था उसी से १९४० में  शादी कर ली और २ साल बाद 1942 में Dr. Kotnis की मौत हो गई।

 उनकी मृत्यु के बाद भी बहुत ज्यादा याद किया जाता है और उनके जन्मदिवस को पर भी वहां के लोग और नेता उनको नमन करते हैं जब चीन में चीनी सेना की जीत का जश्न बनाया गया था तब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी Dr. Kotnis  को याद किया था और कहा कि Dr Kotnis  china तब आए  थे जब हमारे देश ओर आर्मी को उनकी  सबसे ज्यादा जरूरत थी 

डॉक्टर कोटनीस जी के इस  बलिदान और भाईचारा को बढ़ाने के लिए  ही चाइना के लोग उनको याद करते हैं और इतना मान सम्मान देते है । डॉ कोटणीस के नाम से सोलापूर स्मारक है जहा उनके बचपन से लेके सारे वस्तुये और मौअओ त्सुंग एक अनमोल पत्र रखा है इस  स्मारक में जो सोलापूर के मेन जगह स्थित है |

लेखन  प्रो.गणेश चन्ना (कोटणीस स्मारक सदस्य सोलापूर)
एडिटर ____  अनमोल शर्मा 

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