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भारत के ऐसे 10 मंदिर जिनके बारे में आपने जरूर सुना होगा देखिए भारत के सबसे ज्यादा प्रचलित मंदिरो के बारे में सभी जानकारियां हिंदी में विस्तार से


भारत देश हमेशा से ही मंदिरों और महलो  के  नाम से जाना  जाता है भारत के अंदर सबसे  ज्यादा  मंदिर है जो की काफी पुराने समय से जाने जाते है और  इनका समय काल भी बहुत जायदा है जो हजारो सालो से बने  हुए है और अभी भी वेसे ही  बने हुए  है हम आपकों कई ऐसे  मंदिरों के बारे में बताने जा  रहे  है जो की  काफी पुराने और  चमतकारी मंदिरों मे जाने  जाते है  जो  की पुरे भारत  के  साथ  साथ विश्व में जाने   जाते   है 





 

 हसनंबा देवी मंदिर (कर्नाटक)  के बारे में 

Hasanmba Temple Karnataka  & Hasanmba Devi Mandir Karnataka 

 हसनंबा देवी मंदिर कर्नाटक राज्य में पड़ता है यह मंदिर पूरे दक्षिण भारत में के साथ-साथ पूरे भारत मे बहुत  ज्यादा माना जाता है और यहां का इतिहास भी बहुत गहरा है आइए आपको  माता मंदिर कर्नाटक के बारे में बताते हैं। 

Hasanmba Temple History in Hindi  & Hasanmba Devi Temple  ke baare me 

कर्नाटक के हासन में स्थित हसनंबा मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है। यह मंदिर साल में सिर्फ एक हफ्ते के लिए (दीपावली पर) ही खुलता है और फिर पूजा-पाठ के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, जो फिर अगले साल ही खुलता है। कहते हैं कि मंदिर के दरवाजे बंद करने से पहले दीपक जला दिया जाता है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि जब एक साल बाद जब दरवाजा खोला जाता है तो वो दीपक जलता ही रहता है, जबकि उसमें सीमित मात्रा में ही तेल डाल कर छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा देवी हसनंबा पर जो फूल चढ़ाए जाते हैं, वो एक साल बाद भी ताजा ही रहते हैंHasanmba Devi Mandir

Hasanmba Devi Temple  Kyo Famous Hai 

 हसन जिले में स्थित Hasanmba Devi Temple केवल साल में एक बार ही दिवाली के समय पर खोला जाता है और सबसे बड़ी आश्चर्य की बात है कि जब मंदिर का कपाट बंद होता है तब वहां पर एक दीपक जलाया जाता है और साथ में वहां पर माता जी के चरणों में फूल चढ़ाए जाते हैं और जब साल में एक बार खोला जाता है तब सबसे ज्यादा आश्चर्य करने वाली बात यह होती है कि वह दीपक उसी समय भी चल रहा होता है और जो फूल चढ़ाए जाते हैं उनकी सुगंधित और वह ताजा और तुम अच्छे दिखाई देते हैं यह शरीर सबसे ज्यादा आने वाले भक्तों को आज भी आश्चर्य में डालता है और इसी वजह से जब दिवाली पर कपाट खोले जाते हैं तब लोगों को लोग इस मंदिर को देखने के लिए भारी तादाद में आते हैं और Hasanmba Devi Temple  के दर्शन करते हैं।

Hasanmba Devi Temple भक्तों के लिए दिवाली के मौके पर सिर्फ 7 दिन के लिए खोला जाता है और वहां पर भगत इन 7 दिनों में भारी तादाद में आते हैं और माता जी का आशीर्वाद लेते हैं साथ में घी का दिया जलाते हैं और माताजी से मन्नत मांगते हैं इस मंदिर का सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि वह दीपक 1 साल तक जलता  रहता है और भक्तों की मनोकामना पूरा करता है।

How to Reach Hasanmba Temple by Flight 

हासन पहुंचने के लिए आपको सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बेंगलुरु का पड़ता है जहां से लगभग 200 किलोमीटर के दूर माताजी का मंदिर पड़ता है और आप इसके अलावा भी मैसूर का लगता है जहां से 125 किलोमीटर दूर ही माताजी का मंदिर है

How to Reach Hasanmba Temple by Train 
& Nearest Railway station Hasanmba Mandir Temple 

अगर आप  हसनंबा देवी मंदिर कर्नाटक रेल के माध्यम से  आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हासन जंक्शन लगता है वहां से 3 किलोमीटर दूर ही हसनंबा देवी मंदिर कर्नाटक  का मंदिर है  रेलवे स्टेशन से आप ऑटो टैक्सी करके या पर्सनल गाड़ी से माता जी के मंदिर तक पहुंच सकते हैं


शनि मंदिर शिंगणापुर (महाराष्ट्र )के बारे में हिंदी में  


महाराष्ट्र के एक गांव शिंगणापुर में स्थित है शनि भगवान का प्राचीन स्थान है । केवल महाराष्ट्र में नहीं बल्कि पूरे भारत के साथ-साथ विश्व में भी बहुत ज्यादा जाना माना जाता है और इस मंदिर की प्रसिद्धि आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां पर प्रतिदिन लाखों की तादाद में दर्शन करने आते हैं हे मंदिर शनि महाराज को समर्पित है


 शिंगणापुर गांव में शनिदेव का अद्‍भुत चमत्कार है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं और आज तक के इतिहास में यहां किसी ने चोरी नहीं की है।
ऐसी मान्यता है कि बाहरी या स्थानीय लोगों ने यदि यहां किसी के भी घर से चोरी करने का प्रयास किया तो वह गांव की सीमा से पार नहीं जा पाता है और उससे पूर्व ही शनिदेव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है। उक्त चोर को अपनी चोरी कबूल भी करना पड़ती है और शनि भगवान के समक्ष उसे माफी भी मांगना होती है अन्यथा उसका जीवन नर्क बन जाता है।





अमरनाथ गुफा (जम्मू कश्मीर )हिंदी में  देखे 
Shri Amarnath Temple
हिमालय का कण-कण शिव-शंकर का स्थान है।  Amarnath Temple में प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग निर्मित होता है। शिवलिंग का निर्मित होना समझ में आता है, लेकिन इस पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के साथ ही एक गणेश पीठ व एक पार्वती पीठ भी हिम से प्राकृतिक रूप में निर्मित होता है। पार्वती पीठ ही शक्तिपीठ स्थल है। यहां माता सती के कंठ का निपात हुआ था। पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है।


 इसके अलावा यहां अजर और अमरता प्राप्त कबूतर के जोड़े रहते हैं, जो किसी भाग्यशाली को ही दिखाई देते हैं।इस पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने भगवती पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस तत्वज्ञान को 'अमरकथा' के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम 'अमरनाथ' पड़ा। यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद है। यह उसी तरह है जिस तरह कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद हुआ था।

 Best time  to visit  Amarnath Temple  &  Amarnath Mandir  kaha hai  &  Amarnath  Mandir  ka sabse Acha time Konsa hai 

बाबा अमरनाथ धाम के दर्शन करना चाहते हैं तो Amarnath  Mandir  ka sabse Acha time आपको बता दें कि यह बर्फ ज्यादा होने के कारण ज्यादातर समय बंद रहता है और आप भी यात्रियों के लिए जुलाई से अगस्त महीने के दौरान यह खुला रहता है आप इस दौरान आराम से आ सकते हैं और बाबा अमरनाथ गुफा मंदिर के दर्शन कर सकते हैं इस मंदिर की यह भी माना जाता है कि है 51 शक्तिपीठों में से एक है जो पूरे दक्षिण एशिया में हिंदू सती के गिरे हुए शरीर के टकड़ों के स्थान पर बने हुए हैं।

 Amarnath  Mandir Close & Open time 

बाबा अमरनाथ की गुफा जम्मू कश्मीर के अंदर स्थित है और और बाबा अमरनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हर समय लाखों भक्तों की भीड़ बनी रहती है परंतु यहां पर बर्फबारी ज्यादा होने के कारण आप को बचाने के लिए ही मंदिर के कपाट खोले दिखाई देते हैं और इस समय के दौरान लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं और बाबा अमरनाथ गुफा के दर्शन करते हैं और यह हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा माना शक्तिपीठ है।

How to reach  Amarnath  Mandir &  Amarnath Dham kaise phauche  &  Amarnath  Mandir  Kaise Ja sakte hai 
अगर आप अमरनाथ मंदिर में पहुंचना चाहते हैंतो यह श्रीनगर से लगभग 140 किलोमीटर दूर स्थित है और यह बाबा अमरनाथ मंदिर भगवान शिव के उपासक ओं के लिए सबसे बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है और ऐसे भी मान्यता है कि यह शिवलिंग बुरा से निर्मित शिवलिंग है जिसके दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में बताते हैं।

 Amarnath  Mandir tak Pahuchne me kitna time lagta hai  
अगर आप बाबा अमरनाथ गुफा तक पहुंचना चाहते हैं तो इसके लिए यात्रा के लिए हम को लगभग श्रीनगर से या पहलगाम से पैदल करके यात्रा कर सकते हैं वहां से लगभग आपको 5 दिन का समय लग सकता है।

 Amarnath  Temple Me Rukne  ke liye jagah or   Amarnath  Mandir Rest House 
जो भगत अमरनाथ गुफा तक जाना चाहते हैं उन यात्रियों के लिए बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं भी वहां पर समाज सेवा करती है और भक्त जनों के लिए वहां पर जगह-जगह पर खाने का और पीने के साथ-साथ आप रहने के पंडाल भी लगाए जाते हैं ऐसा माना जाता है कि वहां पर फ्री में भी रुक सकती हैं और  आपको रुकने के लिए वहां कई सारे किराए पर भी मिल सकता है   और helicopter से यात्रा  में सहायता भी दी जाती है  और  बुजुर्गों के लिए आप हेलीकॉप्टर से  बाबा अमरनाथ गुफा तक पहुंच सकते हैं।

baba  Amarnath ke baare me hindi me 
अमरनाथ धाम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है इसलिए भी है कि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती  को अमरता के बारे में यहां बताया  था और यह जो शिवलिंग है यह अपने आप निर्मित शिवलिंग  है और  अमरनाथ धाम  सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है कुछ समय के लिए  खुले रहने की वजह से अमरनाथ मंदिर में भीड़ ज्यादा होती हैं और  कपाट खुलने के समय यहां पर  भारी तादाद में भीड़ रहती हैअमरनाथ मंदिर को बाबा बर्फानी , और स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते है।।

Baba  Amarnath  Mandir ke  liye karcha lagta hai 

अगर आप अमरनाथ मंदिर तक जाना चाहते हैं तो इसमें खर्चा लगभग माना जाए तो 5 से ₹6000 तक नॉर्मल खर्चा होता है जिसमें आप बाबा बर्फानी के दर्शन आराम से कर सकते हैं और आपको जाने के लिए नीचे से 5 दिन की यात्रा होती है और आप बाबा अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन और अपना हेल्थ चेकअप जरूर करवाना चाहिए।

How to Reach Amarnath  Mandir 
अमरनाथ धाम जाना चाहते हैं तो आप रेल के माध्यम से बस के माध्यम से और हवाई  माध्यम से तीनों तरीके से जा सकते हैं।

 Amarnath  Mandir by   bus 
बस के माध्यम से जाना चाहते हैं तो आपको नॉर्थ इंडिया में  हर जगह से उसको बस मिल जाएगी वहां से आप बस से  बड़े आराम से श्रीनगर तक आ सकते हैं और बाबा अमरनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हे। 
 
  Amarnath  Mandir  by train 
रेल के माध्यम से आना चाहते हैं तो आपको सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन जम्मू तवी लगता है जम्मू तवी और उधमपुर से आसानी से ट्रेन है इन दोनों से आगे श्रीनगर आपको बस से जाना पड़ेगा।

हवाई जहाज के माध्यम से आना चाहते हैं तो सबसे पास में एयरपोर्ट श्रीनगर का लगता है और  आप दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े बड़े शहरों से आराम से श्रीनगर तक  पहुंच सकते हैं और वहां से  आप  गाड़ी लेकर या बस से बर्फानी धाम तक पहुंच सकते है । 



 कसारदेवी मंदिर अल्मोड़ा (उत्तराखंड)  के  बारे में हिंदी  में 


कसर देवी का मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा के पास एक गांव है और यह मानता है कि है मंदिर माता केसर देवी को समर्पित और यह मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वालों की मुरादें तुरंत ही पूरी होती हैं। यहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन के साथ ही अद्भुत तरह की अनु‍भूति होती है। अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं।
यहां आकर श्रद्धालु असीम मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। ऐसा क्यों? क्योंकि यह अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी है। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश-विदेश से कई पर्यटक आते हैं।
पर्यावरणविद डॉक्टर अजय रावत ने भी लंबे समय तक शोध करने के बाद बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
 
पिछले 2 साल से नासा के वैज्ञानिक इस बेल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है?
कहते हैं कि स्वामी विवेकानंद 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे। बताया जाता है कि अल्मोड़ा से करीब 22 किमी दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी। हर साल इंग्लैंड और अन्य देशों से अब भी शांति प्राप्ति के लिए सैलानी यहां आकर कुछ माह तक ठहरते हैं।

 कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा  सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन काठगोदाम का पड़ता है वहां से 105 किलोमीटर दूरी पर कसार देवी मंदिर स्थित है और काठगोदाम आने के लिए आपको पूरे उत्तर भारत से आराम से मिल सकती है और यह मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है


कसार देवी के मंदिर जाने के लिए आपको सबसे नजदीकी गांव कुमाऊं पड़ता है कसार देवी का मंदिर अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहां पर मंदिर के साथ-साथ आपको कई जगह से भी कम निगम मिलेंगे जहां पर आप आराम से अपना फैमिली का टूर बना सकते हैं।







 
 शिवगंगे मंदिर (कर्नाटक) के बारे में  हिंदी में 



शिवगंगे एक पहाड़ है जो कि बेंगलुरु से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और आपको बता दें कि जब भी हम इस पहाड़ को दूर से देखते हैं तो आपको नजर आएगा कि यह शिव के शिवलिंग की तरह नजर आता है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है हम पर महाशिवरात्रि के दिन बहुत ज्यादा भीड़ लगती है और भगवान शिव को घी का अभिषेक कर कर अपनी मनोकामना मांगी जाती है।


शिवगंगे कर्नाटक के तुमकुर जिले के अंदर स्थित है जो कि एक दक्षिण भारत का का तीर्थ स्थान भी माना जाता है


शिवगंगे, कर्नाटक के तुमकुर जिले में स्थित एक पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 1368 मीटर है। यह एक हिन्दू तीर्थ स्थल भी है। यह बंगलुरु ग्रामीण जिले में दोब्बसपेट के पास स्थित है। तुमकुर से इसकी दूरी २० किमी तथा बंगलुरु से ५४ किमी है। शिवगंगे मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है। कहते हैं कि यहां की पूरी पहाड़ी शिवलिंग जैसी दिखती है

और ऐसा माना गया है कि यह मंदिर 16 साल पुराना मंदिर है और यहां पर शिव जी के गंगा जी पर्वती जी आदि के भी मंदिर स्थित है वहां आप इन सभी मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं


सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि यहां पर एक छोटा सा कुंड है जिसमें पानी ऊपर नीचे लेवल होता रहता है और इस पानी को वही छुपाता है जिसकी किस्मत अच्छी होती है और माना जाता है कि इसके कुंड के पानी को छूने से  शारीरिक समस्या कम हो जाती है और मानसिक शांति मिलती है

 इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां मौजूद शिवलिंग पर घी चढ़ाने के बाद वो रहस्यमय तरीके से मक्खन में बदल जाता है। यह आज भी एक रहस्य ही बना हुआ है। भगवान शिव को घी से अभिषेक करने की परंपरा चली आती आ रही है


अगर आप शिवगंगे तक पहुंचना चाहते हैं तो आप बस के माध्यम से आ रहे हैं तो सबसे नजदीकी बस स्टैंड डब्बास्पेट पड़ेगा वहां से 8 किलोमीटर की यात्रा करके  शिवगंगे तक पहुंच सकते हैं। 

शिवगंगे के साथ-साथ आप वहां पर कुछ और भी टूरिस्ट प्लेस और मंदिर देख सकते हैं


ओला कला तीर्थ

गंगाधरेशवारा मंदिर


शांतला पॉइंट 

शांतला पॉइंट जिसको हम दूसरे नाम से बोले तो सुसाइड प्वाइंट के नाम से जाना जाता है यह इसलिए जाना जाता है इसको सुसाइड पॉइंट इसलिए कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि जो रानी शांतला थी वह अपनी सत्ता जब आने के लिए बेटा चाहती थी उसे कोई संतान नहीं हुई इसकी वजह से वह नाराज हो गई और उसने उस पॉइंट पर जाकर अपनी जान दे दी जिसकी वजह से ही आएगा सुसाइड प्वाइट के नाम से जाना जाता है अगर आप यहां पर जाते हैं तो आपको यहां पर सजग रहना जरूरी है क्योंकि अगर आप छोटी सी भी गलती करते हैं तो यह आपकी जान पर आ सकती है।

नंदी स्टैचू

 नन्दी स्टेचू के बारे में यह बताया जाता है कि है सबसे ऊंचा स्थान है और इसकी खासियत यह है कि इसे तत्वों को काटकर शिर्डी बनाई गई है और यहां पर पहुंचना कोई खतरे से खाली नहीं है यहां पर आपकी छोटी सी गलती भी जान दे सकती है या में ध्यान से और सजग होकर चलना चाहिए


 निधिवन मंदिर वृंदावन (मथुरा )के बारे  में   हिंदी में 


इस मंदिर की सबसे आश्चर्य कर देने वाली बात यह है कि यह अपने आप ही खुलता है और खुद ही बंद भी होता है। दूसरी ओर, वहां के पुजारियों का कहना है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण रोजाना शयन के लिए आते हैं। मंदिर में भगवान के शयन के लिए बकायदा बिस्तर भी लगाया जाता है। बिस्तर में साफ सुथरे गद्दे और चादर को बिछाया जाता है। पान और दातुन और राधा जी का श्रृंगार का सामान भी रखा जाता है। जब मंदिर खुलता है तो बिस्तर में पड़ी सलबटें ये बताती हैं कि यहां कोई सोने के लिए आया था। यही नहीं, मंदिर की दूसरी चमत्कारिक घटना यह है कि इस मंदिर में प्रतिदिन माखन और मिश्री का प्रसाद बांटा जाता है, वहीं जो प्रसाद बच जाता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है। लेकिन बचा हुआ प्रसाद सुबह तक समाप्त भी हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण खुद आकर माखन मिश्री को चट कर जाते हैं। और पान चवाया हुआ मिलता है। दातुन झूठी करी हुई मिलती है। तथा राधा रानी जी का श्रृंगार का सामान बिस्तर के ऊपर बिखरा हुआ मिलता है। मंदिर से जुड़े कुछ और रहस्य यहां अचंभित कर देने वाली इस मंदिर के बारे में यह बात सामने आयी है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा-रानी रासलीला करते हैं। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति रात में छिपकर राधा-कृष्ण की रास लीला को देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है व साथ ही उसकी आंखों की रोशनी चली जाती हैं।


 एरावतेश्वरा मंदिर कुंभकोणम (तमिलनाडु) हिंदी में 


कुंभकोणम मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित है जो कि पूरे दक्षिण भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है और यह मंदिर 2 नदियां कावेरी और असला के बीच बसा हुआ है।

इस मंदिर की प्रसिद्धि आप इस बात से लगा सकते हैं कि समंदर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है और यह एक बहुत हिंदू प्रसिद्ध मंदिर है जो कि दक्षिण भारत में 12 वीं सदी में बनाया गया था और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जोकि ऐसी मान्यता है कि देवताओं के राजा इंद्र ने यहां पर सफेद हाथी द्वारा भगवान शिव की पूजा की थी और मंदिर का विश्व धरोहर होने की वजह से भी ज्यादा प्रचलित माना जाता है और दक्षिण भारत में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।


यह मंदिर दक्षिण भारत में है और यह मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है और इस मंदिर के बारे में आपको बताएं तो यह मंदिर पूरा 128 फुट ऊंचाई वाला एक मंदिर है जो कि पूरा 9 मंजिली है।

और यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है और किस शाम के समय में 4:00 बजे से लेकर 9:30 बजे तक किया मंदिर खुला रहता है और आप इस समय के बीच में आकर दर्शन कर सकते हैं 

तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित ऐरावतेश्वर मंदिर के बारे में एक खास बात यह है कि इस मंदिर की सीढ़ियों चलते  हुए संगीत की मधुर धुन सुनाई देती है, जो श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करती है। दरअसल इस मंदिर के प्रवेश द्वार के पास बनी सीढ़ियों को विशेष प्रकार के पत्थर से बनाया गया है, जिसके ऊपर कदम रखते ही अद्भुत ध्वनि पैदा होती है। इतना ही नहीं इन सीढ़ियों पर आप संगीत के सात सुर भी सुन सकते हैं, लेकिन इसके लिए लकड़ी की मदद से सीढ़ियों के पत्थर को ऊपर से नीचे की ओर रगड़ना पड़ता है। यहाँ तक कि इन सीढ़ियों से अगर कोई छोटी-सी चीज भी टकराती है, तो उससे भी धुन निकलने लगती है। इन सभी चीजों की वजह से ऐरावतेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

 इस मंदिर के अंदर सबसे ज्यादा आश्चर्य करने वाले खासियत यह भी है कि जब हम मंदिर के सीडीओ पर चलते हैं तब आपको एहसास होगा  जब हम एंट्री करते हैं जब मंदिरों की सीढ़ियों पर चलते हैं तो आपको अलग-अलग तरह की ध्वनि का एहसास होता है और यह एक बहुत बड़ी आश्चर्य की बात मानी जाती है

 यह भी माना जाता है कि मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है और इसके अंदर आपको कई पुराने पुराने का देवता जैसे वायु ब्रह्मा सूर्य देवता विष्णु देवता लक्ष्मी माता सरस्वती जमुना जी गंगा जी यहां पर आपका इधर है उनके चित्र देख सकते हैं और यह मंदिर बहुत भव्य तरीके से बनाया गया है।




गंगा मंदिर गढ़मुक्तेश्वर (उत्तर प्रदेश) हिंदी में 


उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसे अति प्राचीन और पौराणिक महत्व के नगर गढ़मुक्तेश्वर की एक पहाड़ी पर बने माता गंगा के प्राचीन मंदिर में प्राचीन इंजीनियरिंग के रहस्य किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। लगभग 80 फीट ऊंची पहाड़ी पर बने माता गंगा के इस मंदिर तक जाने के लिए यहां जो सीढियां बनी हुई हैं उनके बारे में यहां आने वाले श्रद्धालुजन, पर्यटक औ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह माता गंगा का अद्भूत चमत्कार है।
दरअसल, गढ़मुक्तेश्वर में स्थित माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों में एक जो सबसे आश्चर्य वाली बात है वह यह है कि इन सीढियों के अंदर से एक अद्भूत, कर्णप्रिय और संगीतमय आवाज निकलती है और लोग जो श्रद्धालुजन यहां आते हैं वे माता के दर्शन करने के बाद सबसे अधिक समय इस मंदिर की इन्हीं संगीतमय सीढ़ियों पर बिताते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इन सीढ़ियों में से ऐसा क्या चमत्कार या जादू है जो मधुर संगीत निकलता है?


गवी गंगाधरेश्वर मंदिर बेंगलुरु हिंदी में  



कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में गवी गंगाधरेश्वर मंदिर है, जिसमें हर साल मकर संक्रांति के दिन ऐसी अद्भुत घटना होती है, जो आश्‍चर्य से भर देती है। इस घटना को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। इस दिन सूर्य देवता इस शिवलिंग का अपनी किरणों से अभिषेक करते हैं। जबकि साल के बाकी दिनों तक इस शिवलिंग पर सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं।

पूरे साल में केवल मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब केवल 5 से 8 मिनट के लिए सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुंचती है और शिवलिंग का अभिषेक करती हैं। आमतौर पर यह नजारा सूर्यास्त के समय देखने को मिलता है। यह नजारा इतना अद्भुत और खूबसूरत होता है कि इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

इस मंदिर का वास्‍तु बेहद खास है। यह मंदिर दक्षिण-पश्चिमी दिशा अर्थात नैऋत्य कोण की तरफ है। साथ ही इसे इस तरह बनाया गया है कि साल में केवल एक बार ही सूर्य की किरणें शिवलिंग तक पहुंच पाती हैं। इससे पता चलता है कि इस मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले वास्तुविद नक्षत्र विज्ञान के ज्ञानी थे।

इस मंदिर की एक खास बात और है कि जब इस शिवलिंग पर घी चढ़ाया जाता है तो वह मक्‍खन बन जाता है, जबकि आमतौर पर हमेशा मक्‍खन से घी बनाया जाता है। घी से मक्‍खन कभी नहीं बनता है।


. लक्ष्मीनारायण मंदिर रायचूर (कर्नाटक ) हिंदी में 


इस मंदिर को कर्नाटक, रायचूर जिला, देवदुर्ग तालुका में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर कहा जाता है। जब सिर से गर्म पानी डाला जाता है तो पैरों तक पहुंचते-पहुंचते ठंडा हो जाता है। लेकिन वही पानी पैरों पर डाला जाता है, तो उबलने लगता है। यह मंदिर 1900 साल पुराना बताया जाता है। यह तथ्य जब से बाहरी दुनिया भर में आया है तब से हिदू समाज के लोग मंदिर के दर्शन करने लगातार आने लगे है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो विज्ञान की मान्यताओ को झूठा साबित कर रही है।

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